बुधवार

दो भाईओं का कारोबारी मिलन


रिलायंस कम्यूनिकेशंस ने रिलायंस जियो के साथ फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क के लिए 1,200 करोड़ रुपये का करार किया है। इस करार के तहत रिलायंस जियो, रिलायंस कम्यूनिकेशंस के 1.20 लाख किलोमीटर फाइबर नेटवर्क का इस्तेमाल करेगी।

टेलिकॉम एक्सपर्ट महेश उप्पल का कहना है कि दोनों ही कंपनियों के लिए ये डील काफी अहम है। एक तरफ रिलायंस कम्यूनिकेशंस को अपने नेटवर्क से अतिरिक्त कमाई होगी वहीं दूसरी तरफ रिलायंस जियो के लिए भी पैसे और समय की काफी बचत होगी।

आईसीआईसीआई डायरेक्ट के टेलिकॉम एनालिस्ट करण मित्तल का कहना है कि ये डील रिलायंस कम्यूनिकेशंस के लिए काफी फायदेमंद है। इस डील से रिलायंस कम्यूनिकेशंस के कर्ज का बोझ घटेगा, और कंपनी के टॉवर कारोबार को अच्छी वैल्यूएशन मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।

करण मित्तल के मुताबिक टेलिकॉम सेक्टर में भारती एयरटेल में 380 रुपये के लक्ष्य के साथ निवेश करने की सलाह है। रिलायंस कम्यूनिकेशंस में पहले ही 68 रुपये का लक्ष्य दिया गया है, ये स्तर छून के बाद शेयर को लेकर आगे की रणनीति दोबारा बनाई जाएगी।

दिग्गज एफआईआई ब्रोकर जेपी मॉर्गन का मानना है कि आरकॉम को रिलायंस जियो और रिलायंस कम्यूनिकेशंस के बीच डील होने का फायदा जरूर मिलेगा। वहीं रिलायंस जियो अगर टावर कारोबार खरीदती है तो रिलायंस कम्यूनिकेशंस के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। हालांकि कमजोर कारोबार और भारी कर्ज के चलते रिलायंस कम्यूनिकेशंस को अंडरवेट रेटिंग दी गई है।

कोटक सिक्योरिटीज का कहना है कि रिलायंस कम्यूनिकेशंस के भारी कर्ज के सामने 1,200 करोड़ रुपये कुछ भी नहीं हैं। दिसंबर 2012 के अंत तक रिलायंस कम्यूनिकेशंस पर 37,200 रुपये का कर्ज था। लिहाजा 1,200 करोड़ रुपये की डील से रिलायंस कम्यूनिकेशंस के कर्ज में केवल 3 फीसदी की कमी आएगी। ऐसे में इस सौदे का कोई मतलब नहीं है और रिलायंस कम्यूनिकेशंस के शेयर में महज 5 रुपये की तेजी दिख सकती है। इस डील से भारती एयरटेल और आइडिया पर असर नहीं होगा और दोनों शेयर पर अब भी पॉजिटिव हैं।

अचानक सीटी की आवाज सुनाई दे तो हो जाएं सावधान!

(PTI)अगर आपको फोन पर बात करते समय साफ सुनाई न दे या अचानक कानों में सीटी की आवाज सुनाई दे तो उसे हल्के तौर पर न लें.
यह कानों की बीमारी एकॉस्टिक न्यूरोमा के लक्षण हो सकते हैं और इसे नजरअंदाज करने का नतीजा बहरेपन के रूप में सामने आ सकता है.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक और ईएनटी विशेषज्ञ डॉ एसके कक्कड़ कहते हैं ‘एकॉस्टिक न्यूरोमा वास्तव में एक ट्यूमर होता है जिससे कैंसर तो नहीं होता लेकिन यह श्रवण क्षमता को क्षीण करते-करते कई बार खत्म भी कर देता है. इसके और भी गंभीर नतीजे होते हैं. मुश्किल यह है कि इसके लक्षण इतने धीरे-धीरे उभरते हैं कि बीमारी का समय पर पता ही नहीं चल पाता.’
एम्स के ही पूर्व ईएनटी विशेषज्ञ डॉ बीएम अबरोल ने बताया ‘हमारे मस्तिष्क से निकल कर आठवीं क्रेनियल तंत्रिका कान के अंदरूनी हिस्से तक जाती है. आठवीं और सातवीं केनियल तंत्रिका एक दूसरे से सटी होती हैं. आठवीं केनियल तंत्रिका पर बनने वाला ट्यूमर ही एकॉस्टिक न्यूरोमा कहलाता है. यह आठवीं क्रेनियल नर्व की शाखा वेस्टीबुलर तक भी पहुंच जाता है जिसकी वजह से इसे वेस्टिबुलर नोमा भी कहते हैं.’
मेदान्ता मेडिसिटी के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ केके हांडा ने बताया ‘इस ट्यूमर के विकसित होने में कई बार बरसों लग जाते हैं. इसकी वजह से सुनने की क्षमता प्रभावित होती है.’
डॉ हांडा ने कहा ‘इसमें फोन पर या नियमित बातचीत सुनाई नहीं देती. कभी-कभी अचानक कान में सीटी बजती महसूस होती है. अक्सर लोग इन लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते लेकिन यही एकॉस्टिक न्यूरोमा की शुरुआत होती है. अगर शुरू में इस समस्या का पता चल जाए तो इसका इलाज आसानी से हो सकता है. लेकिन बाद में गंभीर समस्या हो जाती है.’
डॉ अबरोल ने बताया ‘कुछ मरीजों में यह समस्या तेजी से बढ़ती है. एकॉस्टिक न्यूरोमा की वजह से ऐसा लगता है जैसे चक्कर आ रहे हों या चलते समय अचानक कदम लड़खड़ा रहे हों. अगर एकॉस्टिक न्यूरोमा बहुत बढ़ जाए तो इसके फलस्वरूप चेहरे पर लकवा भी हो सकता है. चूंकि यह आठवीं क्रेनियल तंत्रिका में होता है तो अपने आसपास की उन अन्य क्रेनियल तंत्रिकाओं और रक्त वाहिनियों को भी यह प्रभावित करता है जो मस्तिष्क को रक्त पहुंचाती हैं या मस्तिष्क तक जाती हैं.’
उन्होंने बताया कि सातवीं क्रेनियल तंत्रिका का संबंध चेहरे की मांसपेशियों से होता है. यह तंत्रिका अगर एकॉस्टिक न्यूरोमा के ट्यूमर से प्रभावित हो जाए तो फेशियल पैरालिसिस या फेशियल पाल्सी जैसी समस्या हो सकती है. इससे मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, आंसू और नाक में एक द्रव का लगातार उत्पादन होता है और जीभ की स्वाद ग्रंथियां भी प्रभावित हो जाती हैं.
डॉ अबरोल के अनुसार, पांचवी केनियल नर्व अगर एकॉस्टिक न्यूरोमा से प्रभावित हो जाए तो चेहरे की मांसपेशियों में तीव दर्द होता है और यह समस्या ‘ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया’ कहलाती है.